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सच के लिए शहीद हो गए इमाम हुसैन

इस्लामी कैलेंडर यानी हिजरी वर्ष का पहला महीना है मोहर्रम। इसे इस्लामी इतिहास की सबसे दुखद घटना के लिए भी याद किया जाता है। इसी महीने में 61 हिजरी में यजीद नाम के एक आतताई ने इमाम हुसैन अलैयहिस्सलाम और उनके 72 अनुयाइयों का कत्ल कर दिया था। सिर्फ इसलिए क्योंकि इमाम हुसैन अलैयहिस्सलाम ने यजीद को खलीफा मानने से इनकार कर दिया था। इनकार इसलिए किया था, क्योंकि उनकी नजर में यजीद के लिए इस्लामी मूल्यों की कोई कीमत नहीं थी, जबकि यजीद चाहता था कि वह खलीफा है, इसकी पुष्टि इमाम हुसैन अलैयहिस्सलाम करें। क्योंकि वह हजरत मोहम्मद साहब के नवासे हैं और उनका वहां के लोगों पर काफी अच्छा प्रभाव है।
प्रस्तुति: मज्कूर आलम

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